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सालबर्डी

श्रेणी धार्मिक

सालबर्डी में भगवान शिव की गुफा है। यहां प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। यह स्थल बैतूल जिले के विकासखंड प्रभातपटटन की ग्राम पंचायत सालवर्डी के अंतर्गत सिथत है। सालवर्डी बैतल की तहसील मुलताई और महाराष्ट्र के अमरावती जिले की मोरसी के पास पहाड़ी है, जिस पर एक गुफा में भगवान शिव की मूर्ति प्रतिषिठत है। आमतौर पर यह विश्वास किया जाता है कि इस गुफा के नीचे से पचमढ़ी सिथत महादेव पहाड़ी तक पहुंचने के लिये एक रास्ता जाता है। बैतूल जिले की जनपद पंचायत प्रभातपटटन के अंतर्गत ग्राम सालबर्डी अपनी सुरम्य वादियों एवं भगवान शिव की प्राचीन गुफा एवं उसमें  स्थित प्राचीनतम शिवलिंग हेतु विख्यात है। इस शिवलिंग की विशेषता है कि यहां प्रकृति स्वयं भगवान शिव का अभिषेक अनवरत रूप से करती है। शिवलिंग के ठीक ऊपर सिथत पहाड़ी से सतत जलधारा प्रवाहित होती रहती है। यह किवदन्ती है कि पौराणिक काल से स्थित यह शिवलिंग स्वत: प्रस्फुटित हुआ है। यह स्थान मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र प्रान्त के लाखों श्रृद्धालुओं की श्रृद्धा का केन्द्र है। प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर यहां विशाल मेला लगता है जिसमें उमड़ने वाला जनसैलाब अपने आप में कौतुहल का विषय है। प्रतिवर्ष आयोजित सात दिवदीय मेले में प्रतिदिन लगभग 75 हजार से एक लाख श्रृद्धालु एकत्रित होते है। मेले की प्रमुख विशेषता जो अन्यत्र कहीं देखने नहीं मिलती है वह है लोगो की श्रृद्धा। इसका अनुपम उदाहरण है कि दुर्गम पथ को पार करते हुये भी न केवल पुरूष बलिक महिलाएं व छोटे छोटे बच्चे भी तमाम दिन और रात शिवदर्शन के लिये आते है। शिवगुफा ग्राम से लगभग तीन किमी ऊपर पहाडी पर सिथत है इतने विशाल जन समुदाय का नियंत्रित हो पाना भी अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं। शिवगुफा पहुंच मार्ग के दोनो ओर निर्सग ने मुक्तहस्त से अपनी सौन्दर्य छटा बिखेरी है। सर्वप्रथम सीतानहानी नामक स्थान है जो कभी अपनी गरम पानी के कुण्ड के लिये विख्यात था, मुप्तगंगा में भी लगातार जलप्रवाह वर्ष पर्यन्त देखा जा सकता है। यात्री जब तीन किमी लम्बी चढ़ाई को पार कर शिवगुफा में प्रवेश करता है तो उसे अलौकिक शांति का अनुभव होता है और यात्रा की समस्त थकान कुछ ही पलों के भीतर दूर हो जाती है। शिवगुफा के अंदर भी 3-4 अन्य गुफा है जिनके संबंध में कहा जाता है कि इन गुफाओं से होकर मार्ग सुंंदुर बड़ा महादेव अर्थात पचमढ़ी पहुंचता है। सालबर्डी के विषय में यह भी कहा जाता है कि जब भगवान शिव का पीछा भस्मासुर नामक राक्षस कर रहा था तब शिव ने कुछ देर के लिये इस गुफा में शरण ली थी। पहाड़ी चटटानों पर स्थित पांंडव की गुफा भी विख्यात है, जहां पर कभी अज्ञातवास के समय पांडवों ने अपना बसेरा किया था। अन्य विशेषताओं के साथ ग्राम सालबर्डी की एक विशेषता यह भी है कि यह ग्राम आधा मध्यप्रदेश व आधा महाराष्ट्र में  है। इस प्रकार यह ग्राम दो पृथक संस्कृतियों के अदभुत संगम का भी प्रतीक है। वर्तमान में जनपद पंचायत प्रभातपटटन समस्त व्यवस्थाएं देख रही है तथा इस स्थल को पर्यटन स्थल घाोषित करने हेतु प्रयास किये जा रहे है।

फोटो गैलरी

  • सालवर्डी गुफा

कैसे पहुंचें:

वायु मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा नागपुर और भोपाल

रेल द्वारा

निकटतम रेल्वे स्टेशन बैतूल

सड़क के द्वारा

जिला मुख्यालय से 115 किलोमीटर